भविष्य में इन तरीकों से नापा जा सकेगा तनाव
सेहतराग टीम
कोई व्यक्ति तनाव में है या नहीं इसका पता अभी किसी दूसरे व्यक्ति को बहुत गौर करने पर ही पता चलता है। संबंधित व्यक्ति के हाव-भाव, शक्ल से झलकती परेशानी आदि के जरिये ये समझ में आता है कि वह व्यक्ति तनाव में है। हालांकि ये कोई वैज्ञानिक पद्धति नहीं है।
चूंकि तनाव कई बीमारियों का जनक है इसलिए लगातार वैज्ञानिक इस बात पर शोध करते रहे हैं कि क्या किसी तरीके से तनाव को सटीक तरीके से मापा जा सकता है। खून के कुछ जांच ऐसे हैं जो शरीर में हार्मोन के स्तर को मापकर ये बताते हैं कि मरीज किस हद तक तनाव का सामना कर रहा है। दरअसल तनाव में शरीर में कुछ हार्मोनों की मात्रा घट-बढ़ जाती है और इसी को मापकर तनाव का स्तर मापा जाता है।
अब इस मामले में एक और खुशखबरी सामने आई है। वैज्ञानिकों ने जांच की एक नई तकनीक विकसित की है जो पसीना, खून, मूत्र या लार के जरिए इंसान के सामान्य तनाव को आसानी से माप सकती है।
तनाव को अकसर ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है क्योंकि इसका असर हृदय रोग से लेकर मानसिक स्वास्थ्य तक पर पड़ता है। अमेरिका के सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों को उम्मीद है कि नई जांच के जरिये रोगी घर पर ही इस उपकरण का इस्तेमाल कर सकेंगे।
विश्वविद्यालय के प्रोफेसेर एंड्रीयू स्टेकल ने कहा, ‘हालांकि यह आपको सभी सूचना नहीं देगा लेकिन इससे आपको ये जानकारी जरूर मिल जाएगी कि क्या तनाव से निबटने के लिए आपको किसी डॉक्टर की जरूरत है।’
दरअसल, वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो खून, पसीना, मूत्र या लार में मौजूद तनाव को हार्मोन की पराबैंगनी किरणों के जरिए मापा करेगा।
हालांकि, अमेरिकन केमिकल सोसाइटी सेंसर जर्नल में इस उपकरण के बारे में बताया गया है कि यह लैबोरेट्री में होने वाली रक्त जांच की जगह नहीं लेगा।
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